Sunday, March 15, 2020

16000 स्त्रियों से शादी करने वाला व्यक्ति पूजनीय कैसे हो सकता है ?

मैं उसी युग की कहानी साझा करने जा रहा हूं। जब भीष्म पितामह ने अम्बा पर कब्जा कर लिया और उसे अपने अधीन बंदी बना लिया। बाद में जब उसने उसे रिहा किया तो वह अपने प्रेमी के पास लौट आई, उसके प्रेमी ने उसे अपनाने से इनकार कर दिया। बाद में वह भीष्म के पास लौट आई और उनसे विवाह करने के लिए कहा, क्योंकि कोई भी उसे स्वीकार नहीं कर रहा था। वह बताती हैं कि, लोग उनसे उनकी गरिमा को लेकर सवाल कर रहे हैं। भीष्म ने अपने वचन से बंधे होने का हवाला देते हुए उनके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। बाद में उसने आत्महत्या कर ली थी. उसे बस कुछ दिनों के लिए बंधक बनाकर रखा गया था और फिर देखिए कि समाज उसके साथ क्या करता है। जब कृष्ण ने महिलाओं को आशूरा से मुक्त कराया, तो महिलाओं ने उनसे कहा कि उन्हें आत्महत्या करनी होगी, क्योंकि समाज उनकी गरिमा पर सवाल उठाएगा और कोई भी उन्हें कभी स्वीकार नहीं करेगा। चूंकि कृष्ण अब महिलाओं के भाग्य के लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं, इसलिए उन्होंने जो किया वह जीवन से भी बड़ा कुछ कहा जाएगा। उसने उन सभी को अपना नाम दिया। यदि कोई उनकी गरिमा की बात करता और उनके पति के बारे में पूछता तो वे बस यही कहतीं कि वह कृष्ण हैं।''

अब सवाल यह भी है कि पत्नी के रूप में बहन/मां/बेटी के रूप में क्यों नहीं? चलिए फिर आगे बढ़ते हैं अम्बा की कहानी. वह बहन और बेटी रही हैं। वह बेहद प्रतिष्ठित बल्कि कहें तो शाही परिवार से ताल्लुक रखती हैं, फिर भी उनकी गरिमा पर सवाल उठते रहे हैं। उस समय महिलाओं की स्थिति देखिये.

देखिए, कृष्ण इरादे से प्रेरित चरित्र हैं। वह हमेशा सही इरादे से सही काम करते हैं। वह हमेशा व्यक्ति द्वारा किए गए कार्य के पीछे के इरादे की जाँच करता है। याद रखें वह कभी भी निर्णयात्मक नहीं होता। उन्होंने राजा दुर्योधन की मंशा पर लगातार निगरानी रखते हुए महाभारत शुरू कर दी। एक राजा के रूप में दुरुधन कभी भी अपने लोगों को कुछ भी नहीं देना चाहता।

यदि आप जानना चाहते हैं कि कृष्ण ऐसा क्यों करते हैं या वैसा क्यों करते हैं, तो तुरंत उनके इरादे की जाँच करें। उन्होंने कभी भी फुरसत के लिए 16000 महिलाओं से शादी करने का इरादा नहीं किया था, वह ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उन महिलाओं ने उन्हें ऐसा करने के लिए कहा था, ताकि वे सम्मान के साथ जीवन जी सकें।

Thursday, March 12, 2020

हिन्दू धर्म ग्रंथों में मिलावट को कैसे पहचाने ?

उत्तर  :  
1. जो ग्रन्थ वेद विरुद्ध है और अविज्ञानिक ( Non Scientific ) है वो मिलावटी है
2. ग्रन्थ में जो विषय चल रहा हो उसमे अचानक दुसरे अप्रासंगिक विषय का आ जाना ये दर्शाता है की ये अप्रासंगिक विषय बीच में घुसाए गए हैं | जैसे अगर शाकाहार के लाभ बताये जा रहे हैं और बीच में मांसाहार के फायदे की बात अगर चल पड़े और फिर वापस शाकाहार के लाभ आ जाएँ तो मतलब वो मिलावट है
4. जो घटना या कार्य कारण सहित ना बतायी गयी हो उसे मिलावट समझें |
5. माया / जादू /अव्यवहारिक / अप्राकृतिक  बातों को मिलावट समझे |  जैसे -  जो पात्र अगर 9 लाख साल पुरानी रामायण में  है और 5100 साल पुरानी महाभारत में भी आ जाएँ  तो ये अव्यवहारिक बात है | सूर्य को मुहं में ले लेना, पसीने से संतान का पैदा  होना  ये  अव्यवहारिक और अप्राकृतिक  ही हैं | 





Friday, March 6, 2020

राम ने गर्भवती सीता को घर से क्यों निकाला ?


महर्षि वाल्मिक ने जो रामायण लिखी है वो वहीँ तक है जहाँ भगवन राम जी का राज्याभिषेक होता है | उसके बाद महर्षि कहते है की इसके बाद राम जी नें अनेक वर्षों कर राज किया  और रामायण समाप्त हो जाती है | इसके बाद की उत्तर रामायण  जिसमे सीता का त्याग , शम्बूक वध आदि बताया गया है वो पूरी की पूरी मिलावट और काल्पनिक है | | 

क्या ब्रह्मा ने अपनी पुत्री सरस्वती से विवाह किया था ?

उत्तर : प्रशन का उत्तर इस विडियो में 4.00 मिनट पर है

दूसरे की पत्नी से धोखे से दुष्कर्म करने वाले इंद्र देवताओ के राजा कैसे हुए ?


हिदुओं में जातिवाद और छुआछूत क्यों था और अब भी है ? जैसे कर्ण के साथ हुआ


हिन्दुओ के इतने सारे भगवन क्यों है ? कुछ तो बन्दर, हाथी और सुवर जैसे भी है ?

  1. हिन्दू गाय की पूजा क्यों करते हैं ?
  2. हिन्दू मूर्तिपूजक क्यों है 
उत्तर :  https://www.hinduismtoday.com/modules/smartsection/item.php?itemid=1327

ढोल गंवार शुद्र और नारी , ये सब ताडन के अधिकारी - में शूद्रों का अपमान क्यों किया है?

 

अर्थ का अनर्थ न करें विडियो से सही अर्थ समझें 

Tuesday, March 3, 2020

क्या श्री राम और श्रीकृष्ण भगवान थे ?

उत्तर : वे महापुरुष थे जिनका जन्म व् मृत्यु दोनों हुए थे | सामाजिक  और जनकल्याण के कार्यों में अपना जीवन समर्पित करने के कारण वे पूजनीय और आदरणीय है |

उदाहरण :  इसी प्रकार आज महाराष्ट्र  के मंदिरों में शिवाजी महाराज और बाल गंगाधर तिलक जी की प्रतिमा और चित्रों की पूजा भी उनके महान सामाजिक कार्यों के लिए होती है और निश्चित रूप से भगवान नहीं थे |
बाल गंगाधर तिलक जी और साईं बाबा की तो कैमरे से खिची हुई फोटो भी उपलब्ध है |







हिन्दुओ के तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं का क्या रहस्य है

उत्तर : 
संस्कृत में कोटि शब्द का एक अर्थ करोड़ है और दूसरा प्रकार अर्थात श्रेणी भी। तार्किक दृष्टि से देखा जाए तो कोटि का दूसरा अर्थ इस विषय में अधिक सत्य प्रतीत होता है अर्थात तैंतीस प्रकार की श्रेणी या प्रकार के देवी-देवता। 

 वेदों में जिन देवताओं का उल्लेख किया गया है उनमें से अधिकतर प्राकृतिक शक्तियों के नाम है जिन्हें देव कहकर संबोधित किया गया है।  उक्त प्राकृतिक शक्तियों को मुख्‍यत: आदित्य समूह, वसु समूह, रुद्र समूह, मरुतगण समूह, प्रजापति समूह आदि समूहों में बांटा गया हैं।

8  वसु :अर्थात हमें वसाने वाले आत्मा का जहां वास होता है। ये आठ वसु हैं: धरती, जल, अग्नि, वायु, आकाश, चंद्रमा, सूर्य और नक्षत्र। ये आठ वसु प्रजा को वसाने वाले अर्थात धारण या पालने वाले हैं।


11 रूद्र   दरअसल यह रुद्र शरीर के अव्यय है। जब यह अव्यय एक-एक करके शरीर से निकल जाते हैं तो यह रोदन कराने वाले होते हैं। अर्थात जब मनुष्य मर जाता है तो उसके भीतर के यह सभी 11 रुद्र निकल जाते हैं जिनके निकलने के बाद उसे मृत मान लिया जाता है। तब उसके सगे-संबंधी उसके समक्ष रोते हैं।

शरीर से निकलने वाले इन रुद्रों ने नाम हैं:- प्राण, अपान, व्यान, समान, उदान, नाग, कुर्म, किरकल, देवदत्त और धनंजय। प्रथम पांच प्राण और दूसरे पांच उपप्राण हैं अंत में 11वां जीवात्मा हैं। ये 11 जब शरीर से निकल जाते हैं तो सगे-संबंधी रोने लग जाते हैं। इसीलिए इन्हें कहते हैं रुद्र। रुद्र अर्थात रुलाने वाला। 

 12 आदित्य :  आदित्य आदित्य सूर्य को कहते हैं। भारतीय कैलेंडर सूर्य पर ही आधारित है। समय के 12 माह को 12 आदित्य कहते हैं। इन्हें आदित्य इसलिए कहते हैं क्योंकि यह हमारी आयु को हरते हैं। जैसे-जैसे समय बढ़ता जाता है हमारी आयु घटती जाती है। ये बारह आदिय 12 माह के नाम हैं। सूर्य की 12 रश्मियों को भी इन्हीं की श्रेणी में रखा गया है।  


32 वां इंद्र  :   इंद्र का अर्थ बिजली या ऊर्जा। 33वां है यज्ज। यज्ज अर्थात प्रजापति, जिससे वायु, दृष्टि, जल और शिल्प शास्त्र हमारा उन्नत होता है, औषधियां पैदा होती है। ये 33 कोटी अर्थात 33 प्रकार के अव्यव हैं जिन्हें देव कहा गया। देव का अर्थ होता है दिव्य गुणों से युक्त। हमें ईश्वर ने जिस रूप में यह 33 पदार्थ दिए हैं उसी रूप में उन्हें शुद्ध, निर्मल और पवित्र बनाए रखना चाहिए।